Bank FD New Rules 2025 के तहत आंशिक निकासी और ब्याज दरों में बदलाव हुआ है। नए नियमों को जानें और निवेश से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करें।
नई दिल्ली: बजट 2025 में बैंक एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस (TDS) की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। अब गैर-वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी गई है। वहीं, अन्य मामलों में TDS की सीमा ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 की गई है। ये बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
TDS क्या है, इसे कौन काटता है, और इसके नियम क्या हैं? आइए विस्तार से जानते हैं।
🔍 TDS क्या होता है?
TDS (Tax Deducted at Source) यानी स्रोत पर काटा जाने वाला टैक्स। जब बैंक एफडी पर ब्याज एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, तो बैंक को उस पर TDS काटना होता है।
✅ बैंक, वित्तीय संस्थान और पोस्ट ऑफिस टीडीएस काटने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
✅ अगर पैन कार्ड उपलब्ध है, तो 10% की दर से TDS कटता है।
✅ अगर पैन कार्ड उपलब्ध नहीं है, तो 20% की दर से TDS कटेगा।
✅ TDS कटौती हर वित्तीय वर्ष के अंत में होती है, न कि FD की मैच्योरिटी पर।
✅ संयुक्त FD में TDS मुख्य खाताधारक के नाम पर ही कटता है।
📌 अभी TDS सीमा कितनी है और क्या बदलाव हुए हैं?
📢 वर्तमान में:
✔ गैर-वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS कटौती की सीमा ₹40,000 है।
✔ अन्य मामलों में ₹5,000 की सीमा लागू है।
📢 बजट 2025 के बाद:
✔ TDS सीमा ₹40,000 से बढ़कर ₹50,000 हो जाएगी।
✔ अन्य मामलों में ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है।
✔ ये नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
💡 TDS कटौती के नियम क्या हैं?
✅ अगर FD पर ब्याज तय सीमा से अधिक हो जाता है, तो बैंक TDS काटता है।
✅ TDS कटौती की दर:
- पैन कार्ड है तो – 10%
- पैन कार्ड नहीं है तो – 20%
✅ संयुक्त FD में – TDS मुख्य खाताधारक पर लागू होता है।
✅ टैक्स-सेवर FD पर भी – TDS लागू होता है।
✅ TDS कटौती की जानकारी पैन कार्ड से लिंक खाते में दिखाई देती है।
💰 कैसे होगा लोगों को फायदा?
✅ TDS सीमा बढ़ने से अधिक ब्याज पर टैक्स नहीं कटेगा।
✅ लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा।
✅ रिटर्न फाइल करने पर – अगर ज्यादा TDS कट गया है, तो रिफंड मिल सकता है।
✅ कम TDS कटेगा, लेकिन पूरी आय पर टैक्स देना जरूरी रहेगा।
📢 निष्कर्ष:
बजट 2025 में TDS सीमा बढ़ाने से FD धारकों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। लेकिन, TDS केवल एक अग्रिम टैक्स है, इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी रहेगा। अगर आपकी कुल टैक्स देनदारी कम है, तो रिफंड मिल सकता है, और अगर ज्यादा है तो अतिरिक्त टैक्स भरना होगा।
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